Sheetala Saptami : कब और क्यों मनाई जाती है शीतला अष्टमी

Oct 23, 2025
Indian Festival & Culture
Sheetala Saptami : कब और क्यों मनाई जाती है शीतला अष्टमी
Sheetala Ashtami on Wednesday, March 11, 2026
Sheetala Ashtami Puja Muhurat - 07:13 AM to 06:50 PM
Duration - 11 Hours 37 Mins

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को संक्रामक रोगों और बीमारियों से सुरक्षा देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। खासकर गर्मी के मौसम में माता शीतला की पूजा से शरीर की स्वच्छता और पर्यावरण की रक्षा की जाती है, जो आज भी हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कंद पुराण में माता शीतला का वाहन गर्दभ है। वे अपने हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। जो चेचक का रोगी की परेशानी को हर देते हैं। सूप से रोगी को हवा की जाती है। झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते हैं।

नीम के पत्ते फोडों के दर्द से आराम मिलता है। मान्यता है कि शीतला देवी के आशीर्वाद से परिवार में रोगों का निवारण होता है, खासकर ऐसे रोग जो विशेष रूप से गर्मी के मौसम में होते हैं, जैसे कि दाह ज्वर (बुखार) और पीत ज्वर आदि। उनकी पूजा हिंदू समाज में विशेष रूप से पौराणिक कथाओं, रीति-रिवाजों और पारंपरिक उपायों के माध्यम से की जाती है।

स्कंद पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। मान्यता है कि इसकी रचना भगवान शंकर ने की थी। शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गान करता है और उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है।

हमारे पौराणिक ग्रंथों में- वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थां दिगम्बरः, मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाः। कहकर उनकी वंदना गाई गई है। माता शीतला की पूजा का उद्देश्य शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है और हमें अपनी दैनिक जीवनशैली में स्वच्छता और सादगी को अपनाना चाहिए, ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से हम स्वस्थ और सुखी रहें। शीतला देवी की पूजा का एक गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है।

॥ श्री शीतला माता की आरती ॥

जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानीसब फल की दाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता।

ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,जगमग छवि छाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता।

वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा।

सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

घण्टा शङ्ख शहनाईबाजै मन भाता।

करै भक्त जन आरतीलखि लखि हर्षाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

ब्रह्म रूप वरदानीतुही तीन काल ज्ञाता।

भक्तन को सुख देतीमातु पिता भ्राता॥

ॐ जय शीतला माता...।

जो जन ध्यान लगावेप्रेम शक्ति पाता।

सकल मनोरथ पावेभवनिधि तर जाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

रोगों से जो पीड़ित कोईशरण तेरी आता।

कोढ़ी पावे निर्मल कायाअन्ध नेत्र पाता॥

ॐ जय शीतला माता...।

बांझ पुत्र को पावेदारिद्र कट जाता।

ताको भजै जो नाहींसिर धुनि पछताता॥

ॐ जय शीतला माता...।

शीतल करती जन कीतू ही है जग त्राता।

उत्पत्ति बाला बिनाशनतू सब की माता॥

ॐ जय शीतला माता...।

दास नारायणकर जोरी माता।

भक्ति आपनी दीजैऔर न कुछ माता॥

ॐ जय शीतला माता...।

Recent Posts

Shubharambh Pooja

All categories
Flash Sale
Todays Deal